Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2024 · 1 min read

अभी जो माहौल चल रहा है

अभी जो माहौल चल रहा है
वो यह बताने के लिए बहुत है
कि शिक्षा के साथ संस्कार और
आत्मरक्षा की शिक्षा ज़रूरी है
_ सोनम पुनीत दुबे

1 Like · 35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sonam Puneet Dubey
View all
You may also like:
जुगनू का कमाल है रातों को रोशन करना,
जुगनू का कमाल है रातों को रोशन करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुनिया कितनी निराली इस जग की
दुनिया कितनी निराली इस जग की
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"फागुन में"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी हैसियत
मेरी हैसियत
आर एस आघात
देवा श्री गणेशा
देवा श्री गणेशा
Mukesh Kumar Sonkar
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
parvez khan
जिंदगी में पीछे देखोगे तो 'अनुभव' मिलेगा,
जिंदगी में पीछे देखोगे तो 'अनुभव' मिलेगा,
Shubham Pandey (S P)
बिजी तो हर कोई होता है,लेकिन अगर उनकी लाइफ में आपकी कोई वैल्
बिजी तो हर कोई होता है,लेकिन अगर उनकी लाइफ में आपकी कोई वैल्
Ranjeet kumar patre
नमस्कार मित्रो !
नमस्कार मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
जलती बाती प्रेम की,
जलती बाती प्रेम की,
sushil sarna
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
वैशाख की धूप
वैशाख की धूप
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
शिव प्रताप लोधी
हमारे हाथ से एक सबक:
हमारे हाथ से एक सबक:
पूर्वार्थ
तज़्किरे
तज़्किरे
Kalamkash
मित्रता
मित्रता
Shashi Mahajan
जय महादेव
जय महादेव
Shaily
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम ही सुबह बनारस प्रिए
तुम ही सुबह बनारस प्रिए
विकास शुक्ल
दिल नहीं ऐतबार
दिल नहीं ऐतबार
Dr fauzia Naseem shad
*हिंदी*
*हिंदी*
Dr. Priya Gupta
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
Ajit Kumar "Karn"
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
Manisha Manjari
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2536.पूर्णिका
2536.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रात भर नींद भी नहीं आई
रात भर नींद भी नहीं आई
Shweta Soni
Loading...