अभिशप्त बीज
अभिशप्त बीज
चिड़िया के चोच से गिरी
दर्रे में सदियों सिसकती रही
इक दिन … पानी मिट्टी मिली
इश्क की सोंधी सी हवा चली
चटक कर बीज टूट गई
बीज से अंकुर फूट गई
पत्थर के सीने पे इक फूल उगा
सन्नाटे के घर में प्यार बोल उठा
~ सिद्धार्थ
अभिशप्त बीज
चिड़िया के चोच से गिरी
दर्रे में सदियों सिसकती रही
इक दिन … पानी मिट्टी मिली
इश्क की सोंधी सी हवा चली
चटक कर बीज टूट गई
बीज से अंकुर फूट गई
पत्थर के सीने पे इक फूल उगा
सन्नाटे के घर में प्यार बोल उठा
~ सिद्धार्थ