” अभिव्यक्ति “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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बहुत मन करता है ,
नयी कविता लिखूँ !
नये अंदाज़ में ही ,
कुछ मैं बातें कहूँ !!
ग़ज़ल नहीं गाऊँगा ,
गीत नहीं सुनाऊँगा !
सीधी- साधी बातें ही ,
लोगों को बताऊँगा !!
पता है मुझे सब ,
मूक बधिर हो गए !
देखना भी छोड़कर ,
अंधे सब बन गए !!
अभिव्यक्ति नहीं ,
बंद सब हो गयीं !
ताले मुँह पर लगे ,
चाभियाँ खो भी गयीं !!
मीडिया भक्त बने हैं ,
सत्य को छोड़ दिया !
शासक से डरकर गए ,
मर्यादा को तोड़ दिया !!
अभिव्यक्ति से ही ,
प्रजातन्त्र चलती है !
जनकल्याण की बातें ,
सरकार तब सोचती है !!
बहुत मन करता है ,
नयी कविता लिखूँ !
नये अंदाज़ में ही ,
कुछ मैं बातें कहूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
18.12.2022