अब हमको…रूकना ही होगा…..©डॉ.अमित कुमार दवे, खड़गदा
अब हमको…रूकना ही होगा…
©डॉ.अमित कुमार दवे, खड़गदा
हमें अपनों के लिए रूकना होगा..!
हमें अपने लिए रूकना होगा..!
हमें सपनों को सच करने के लिए रूकना होगा..!
भारत को भारत बनाए रखने के लिए फिर से ठहरना होगा..!
साँसों के सामर्थ्य को संचित करना होगा…!
हो रहे नुकसानों में भी जीवनराग तलाशना होगा..!
सुरक्षित आश्रय में रहकर कल की गति को.. नियोजित करना होगा..!
टूट रहे अपनों के सपनों का विश्वास पुनः लौटाना होगा..!
दूर से ही सही मगर जीवन में शब्दों से उल्लास भरना होगा..!
कोरे आँकड़ों में बदलता जीवन फिर से जीवन करना होगा..!
कुछ समय और सुरक्षित, संयमित, नियमित रहना होगा..!
रूककर ही इस अदृश्य दानव को हराना होगा..
संयमित होकर ही इस दानव का समूलोन्मूलन करना और कराना होगा..!
आओ! दूर से ही सही मगर मिलकर हमको रूकना ही होगा….!
सादर सस्नेह
©डॉ.अमित कुमार दवे, खड़गदा