अब मुझे ज़िन्दगी भी दे साहिब
अब मुझे जिंदगी भी दे साहिब
इक हसीं आशिक़ी भी दे साहिब।
कोई सितमगर भी मुझसे प्यार करे
कोई ज़ालिम हसीं भी दे साहिब।
मैं भी, बंदनवाज़, तेरा हूँ………
हाँ मुझे…..बंदगी भी दे साहिब।
मेरे होंठों पे गीत तेरे हों……..
ऐसी कोई मौशिकी भी दे साहिब।
रूह प्यासी है, जिस्म प्यासा है
अब जामे-जिंदगी भी दे साहिब।
सारा ही आसमां दिया मुझको
कहीं थोड़ी जमीं भी दे साहिब।
©आनंद बिहारी, चंडीगढ़
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