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20 May 2023 · 1 min read

अब न वो आहें बची हैं ।

अब न वो आहें बची हैं ।
अब न वो राहें बची हैं ।
जिस्म का सौदा हुआ बस –
अब न वो चाहें बची हैं ।।

✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०

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