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21 May 2023 · 1 min read

शायद बदल जाए

शायद बदल जाए यह साल, नए साल में।
बदले बंदे, दिल ए हाल ,अब नए साल में।।
खुल जाए रास्ते, नहीं हो कोई जाम,
छुटे नहीं मंजिल, ना बिखरे मुकाम।
टूटे नहीं अमन, रखे हार नाजुक थाल में,
खिल जाए नेह गुलाब, अब नए साल में ।।
शायद बदल जाए यह साल, नए साल में——
मिले सीट सबको, जब लम्बा हो सफर,
जॉब भी मिल जाये, इंटरव्यू हो अगर।
ना बैठे छत बस की, ना सोये फुटपाथ में,
बेघर भी घर मालिक, अब नए साल में।।
शायद बदल जाए यह साल, नए साल में—-
बज जाय इस आलय विद्या का डंका,
बिना मोल भाव भेद, मेहनत का मनका,
आउट ना हो पेपर, इस शहर इम्तिहाँ में ।
शिक्षा न हो व्यापार, अब नए साल में।।
शायद बदल जाए यह साल, नए साल में—–
उतर जाय महंगाई, रहे हर जगह सफाई,
लेकर जाय बचत सभी को ऐसी कमाई।
ना भगदड़, ना जंग, फंसे न भीड़ भाड़ में,
हरियाली चहुँ ओर फैले, अब नए साल में।।
शायद बदल जाए यह साल, नए साल में—-
बदले बन्दे, दिल ए हाल, अब नए साल में—
(रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी’)

Language: Hindi
1 Like · 716 Views
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