अब गैर भी लिखता है मुझे गैर नहीं है।
अब गैर भी लिखता है मुझे गैर नहीं है।
अब अपनों से लगता है मेरी खैर नहीं है।
तुम प्यार भी करते हो और करते भी नहीं हो।
इस बात का सर तो है मगर पैर नहीं है।
ठंड भरी रात है और चांदनी मौसम।
छत पर तो टहलते हो मगर सैर नहीं है।
सगीर हम बांटेंगे ज़माने में मुहब्बत
हमको तो किसी शख्स से भी बैर नहीं है