अब क्या बाकी है
।।अब क्या बाकी है।।
अब और क्या बदलेगा, क्या बदलना बाकी है,
ना आबो हवा, पहले सी रही,
ना बचा आंख में, शर्म का पानी हैं।
ना रिश्तों की मर्यादा, ना संस्कारो की परिभाषा,
ना ऊपर वाले का ख़ौफ बाकी है।
– रुचि शर्मा (भोजपुर)
।।अब क्या बाकी है।।
अब और क्या बदलेगा, क्या बदलना बाकी है,
ना आबो हवा, पहले सी रही,
ना बचा आंख में, शर्म का पानी हैं।
ना रिश्तों की मर्यादा, ना संस्कारो की परिभाषा,
ना ऊपर वाले का ख़ौफ बाकी है।
– रुचि शर्मा (भोजपुर)