Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2021 · 1 min read

अफ़ग़ानिस्तान और म्यांमार

क्या काफ़ी नहीं है हमारा
एक ख़ालिस इंसान होना!
क्यों ज़रूरी है किसी का
हिंदू या मुसलमान होना!!
पूरी सभ्य दुनिया के लिए
कितनी बड़ी लानत है ये
इस इक्कीसवीं सदी में भी
किसी देश का ग़ुलाम होना!!
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
1 Like · 158 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"आय और उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कविता क़िरदार है
कविता क़िरदार है
Satish Srijan
नया
नया
Neeraj Agarwal
राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
Anil chobisa
" हम तो हारे बैठे हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं तो इंसान हूँ ऐसा
मैं तो इंसान हूँ ऐसा
gurudeenverma198
मूर्ख बनाने की ओर ।
मूर्ख बनाने की ओर ।
Buddha Prakash
मानवता
मानवता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
Swami Ganganiya
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
पूर्वार्थ
💐प्रेम कौतुक-370💐
💐प्रेम कौतुक-370💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*रथ (बाल कविता)*
*रथ (बाल कविता)*
Ravi Prakash
लिखना
लिखना
Shweta Soni
मैं तूफान हूँ जिधर से गुजर जाऊँगा
मैं तूफान हूँ जिधर से गुजर जाऊँगा
VINOD CHAUHAN
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
Ram Krishan Rastogi
समय
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ लेखन मेरे लिए...
■ लेखन मेरे लिए...
*Author प्रणय प्रभात*
फूल
फूल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नाम हमने लिखा था आंखों में
नाम हमने लिखा था आंखों में
Surinder blackpen
कड़ियों की लड़ी धीरे-धीरे बिखरने लगती है
कड़ियों की लड़ी धीरे-धीरे बिखरने लगती है
DrLakshman Jha Parimal
नूतन सद्आचार मिल गया
नूतन सद्आचार मिल गया
Pt. Brajesh Kumar Nayak
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
Paras Nath Jha
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
कवि दीपक बवेजा
2923.*पूर्णिका*
2923.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...