अफसोस
वे लोग पूरी तरह
नकार दिए गए
जो देवदारों की तरह
सीना तान खड़े रहे
कर्तव्य की ऊँचाई पर,
आंधियों से टकरा गए
सिर्फ एक दुहाई पर।
जिसने सारे कष्ट सहकर
खुद अपनी राह बनाई,
जिसने सारी मानवता को
सही राह दिखाई।
प्रकाशित 46वीं काव्य-कृति :
‘वक्त की रेत’ से,,,
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।