अफसोस
हवस की आग में जल रहा है आदमी
बेटियां घर में भी घबराई रहती हैं
बाड खा रही खेत, कुछ दौर ऐसा है
चमन में भी कलियां मुरझाई रहती हैं
देख कर माहौल ये ,दिल डरता है
बेटी घर में अमानत ,पराई रहती है
आदमी का क्या है वो तो मर्द ठहरा
लड़की की तो उमर भर रुसवाई रहती है
कोई कूदी कुंए में,कोई मार दी गई
खबर अखबार में आई रहती है
उस दर्द को बस वही जानता है
जिसके पैर में बिवाई रहती है