अपने ह्रदय के
असंख्य शब्दों को
लेकर भी
शायद ही कभी मैं
परिभाषित कर पाऊं
अपने ह्रदय के
उन अनकहे
भावों को
जिन्हें अभिव्यक्त
करने की स्वीकृति
कभी भी
न मन देता है और
न हम!
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
असंख्य शब्दों को
लेकर भी
शायद ही कभी मैं
परिभाषित कर पाऊं
अपने ह्रदय के
उन अनकहे
भावों को
जिन्हें अभिव्यक्त
करने की स्वीकृति
कभी भी
न मन देता है और
न हम!
डाॅ फौज़िया नसीम शाद