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29 Sep 2021 · 1 min read

अपने ही खून को यहां छलने लगे है लोग

धोखे यूं प्यार के यहां करने लगे है लोग
हाथों में हाथ डालके चलने लगे है लोग

खाने को घर में दाना नहीं बैठने को छांव
झूठी_ तसल्ली देंके प्यार करने लगे लोग

जीवन दिया है जिसने उसकी याद तक नहीं
अपने ही_ खून को यहां_ छलने लगे है लोग

चलती अगर_ कहीं जो_बहु बेटियां दिखी
तिरछी_निगाह से_ उन्हें तकने लगे है लोग
कृष्णकांत गुर्जर

Language: Hindi
9 Likes · 6 Comments · 499 Views
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