अपने से होते है
सारे बुजुर्ग अपने से ही होते है
बस बच्चों के सहारे ही होते है
सब है मन मरजी के मालिक
आये न काम तो उनको खोते है
मत करो तुम बादलों की होते है
जल बिना सब धरती पर रोते है
बच्चे करते है अजीब नादानियाँ
अपने लिए बीज नफरत के बोते है
सरहदें जब हो जाए सैन्य सुसज्जित
मधु जन जनता सब चैन से सोते है