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30 Aug 2022 · 1 min read

अपनी ही धड़कनों से अनजान हो गया हूं

अपनी ही धड़कनों से अनजान हो गया हूॅं।
तेरे बगैर ये दिल बेजान हो गया हूॅं।।

सर्दी हो या हो गर्मी बारिस का तेज मौसम।
पड़ता नहीं असर क्या पाषाण हो गया हूं।।

जिसकी तुझे थी चाहत तुझको वो मिल गया है।
खुशियों पे तेरी मैं अब कुरबान हो गया हूं।।

हॅंसते हैं लोग मुझ पर बस तेरा वास्ता दे।
दुनियां की दिल्लगी का सामान हो गया हूॅं।।

तुझको हुआ क्या हाॅसिल मुझको तवाह करके।
“योगी” ये सोच करके हैरान हो गया हूॅं।।

Language: Hindi
113 Views
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