Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2023 · 1 min read

-अपने व उनका अपनापन –

– अपने व उनका अपनापन –
अपने कहने को तो अपने होते है,
लेकिन कही -कही किसी के लिए सिर्फ वे सपने होते है,
अपने अपना अपनापन जहा दिखाना होता है वहा नही दिखलाते,
जहा जरूरत नही वहा अपनापन दिखलाते,
व्यर्थ का वे ढोंग रचाते ,
खुदगर्जी में वे रोज नहाते,
मुसीबत में जो तनाव दे जाते,
अवसर आने पर जो घात कर जाते,
दुख में जो हाथ छोड़कर जाते,
सुख में जो दौड़े चले जाते,
बिन बुलाए जो मेहमान बन जाते,
आजकल की दुनिया में भरत वे ही तो अपने कहलाते,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –

Language: Hindi
70 Views

You may also like these posts

नेता सोये चैन से,
नेता सोये चैन से,
sushil sarna
किया नहीं मतदान
किया नहीं मतदान
RAMESH SHARMA
परीक्षा
परीक्षा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
चेतावनी
चेतावनी
आशा शैली
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
Slok maurya "umang"
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
Shweta Soni
माँ और फौज़ी बेटा
माँ और फौज़ी बेटा
Ahtesham Ahmad
दिल को तमाम बातों का तह खाना बना दे
दिल को तमाम बातों का तह खाना बना दे
Kanchan Gupta
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
Sunil Maheshwari
एक सती सी
एक सती सी
Minal Aggarwal
*प्यासा कौआ*
*प्यासा कौआ*
Dushyant Kumar
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
Kuldeep mishra (KD)
4795.*पूर्णिका*
4795.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
sudhir kumar
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
टूटता तारा
टूटता तारा
Kirtika Namdev
चंद दोहा
चंद दोहा
सतीश तिवारी 'सरस'
हमारा पसंद ही तुम्हारा पसंद होता था
हमारा पसंद ही तुम्हारा पसंद होता था
Keshav kishor Kumar
*आए यों जग में कई, राजा अति-विद्वान (कुंडलिया)*
*आए यों जग में कई, राजा अति-विद्वान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।
“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।
पूर्वार्थ
वफा से होकर बेवफा
वफा से होकर बेवफा
gurudeenverma198
समय
समय
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मेरे दिल ओ जां में समाते जाते
मेरे दिल ओ जां में समाते जाते
Monika Arora
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
कविता
कविता
Nmita Sharma
हँसकर गुजारी
हँसकर गुजारी
Bodhisatva kastooriya
मुहब्बत गीत  गाती है करिश्मा आपका है ये
मुहब्बत गीत गाती है करिश्मा आपका है ये
Dr Archana Gupta
पेंटिंग्स के कारनामें
पेंटिंग्स के कारनामें
Dr. Kishan tandon kranti
चला गया
चला गया
Mahendra Narayan
जब  बगावत  से  हासिल  नहीं  कुछ  हुआ !
जब बगावत से हासिल नहीं कुछ हुआ !
Neelofar Khan
Loading...