– अपने पराए हो जाते –
– अपने पराए हो जाते –
पल में अपने हो जाते है पल में हो जाते है पराए,
न जाने कब थे अपने कब हो गए पराए,
इस दुनिया का यह है दिखावा,
कोई नही होता है यहा,
जिसके पास में धन संपदा उसके सब हो जाते,
निर्धन के कोई न होता कोई सगा संबधी ,
सब मुंह फेर के जाते,
धनवान के दूर के रिश्ते भी नजदीक चले आते और अपना प्यार जताते,
करता है भरत अपने अनुभवों से इस दुनिया की पहचान,
गहलोत इस दुनिया में अपनो को पराया परायो को अपना मान,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
सूत्र -7742016184 –