अपनी कहानी
कहानी
सबकी होती है
पर अपनी कहानी
किरदार खुद चुन लो
तो भी कभी
भागती है झरोखे से
खिड़की से
यह दरवाजे के नीचे से
कभी ठहर जाती है
समुंदर सी
कुछ भी हो
अपनी कहानी का
मुख्य किरदार
खुद को ही रखना,
नासमझी है
खुद को सहायक की
भूमिका में देखना
और अपनी कहानी की
मुख्य भूमिका किसी
और को दे देना
यह बिल्कुल वैसा ही है
जैसे अंत तक पहुंच कर
आरंभ करना।