अपनी औकात दिखाते हैं लोग
खुलकर किसी से बोलो तो
अपनी औकात दिखाते हैं लोग।
हम भी आखिर क्या करें,
अपनी जात दिखाते हैं लोग।
हम चाहते हैं दोस्ती और थोड़ा सा हंसी मजाक,
पर हमेशा उसी बात पे आते हैं लोग।
कुछ ही दिनों में आ जाती है असलियत सामने सबकी,
मौका मिला नहीं और असली ख्यालात पे आ जाते हैं लोग।
ये शतरंज भी उनकी ही बिछाई हुई है,
बहुत सोच समझ कर जाल बिछाते हैं लोग।
हमने दिन के उजाले चाहे हरदम मगर
जाने क्यों रात में ही आ जाते हैं लोग।