अपनापन
अपनापन
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“आज सुबह जब मैं आज मार्केट के लिए निकल रहा था, तब तो हमारे दोनों भानजों में घमासान लड़ाई हो रही थी और अभी एक साथ बड़े मजे से खाना खा रहे हैं। आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे ?” आश्चर्यचकित रमेश ने पूछा।
“साले साहब, हमने अपने घर में एक नियम बना रखा है, जब भी कोई वाद-विवाद हो, तो भोजन के समय तक सुलह भी हो जाए, वरना खाना नहीं मिलेगा।” जीजाजी ने मुस्कुराते हुए बताया।
“अरे वाह, ये तो बहुत ही अच्छी बात है जीजाजी। यदि कभी आपके और दीदी के बीच कुछ अनबन हो, तो भी क्या यही नियम लागू होता है।” रमेश ने मजाकिया अंदाज में पूछा।
“बिल्कुल, वैसे तो मैं तुम्हारी दीदी से कभी पंगा लेने की जुर्रत नहीं करता, फिर भी कभी कुछ अनबन हो जाती है, तो बहुधा मैं ही भोजन से पहले माफी मांग कर लफड़ा खत्म कर देता हूँ।” जीजाजी ने हँसते हुए कहा।
दीदी कनखियों से देखकर मुसकरा रही थीं।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़