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18 Dec 2022 · 1 min read

अपनापन

मनुष्य जीवन हर योनि में सबसे,श्रेष्ठ क्यों माना जाता है।
क्योंकि मनुष्य का जीवन उसके कर्मो से आंका जाता है।।
कर्म रूपी इस ध्वनि को व्यक्ति,जिस रूप में भी फैलता है।
प्रतिध्वनि रूप में उसका कर्म घूमकर,उसके ही सामने आता है।।
अच्छा बुरा और झूठा सच्चा जो भी, करने मनुष्य जाता है।
हर हालत में वो कर्म घूमकर,उसके सामने वापस आ जाता है।।
क्यों हर व्यक्ति अपने को दूजे से,श्रेष्ठ बनाना चाहता है।
क्यों इस श्रेष्ठता के जाल में फंस, वो अपनों के विमुख हो जाता है।।
हर परिवार और हर समाज केवल व्यक्तियों के समूह से माना जाता है।
मिलजुल कर जो चल पाता वो ही तो श्रेष्ठतम सबमें वो कहलाता है।।
कहे विजय बिजनौरी जगत में व्यक्ति खाली हाथ ही आता है।
किंतु जब जाता है अपनेपन का खजाना ही बस उसके संग जाता है।।

विजय बिजनौरी

Language: Hindi
4 Likes · 157 Views
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