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14 Jan 2021 · 1 min read

अन्नदाता

ये किसान नही, अन्नदाता है हमारा,
ये भाग्य विधाता है हमारा।
मत इस पर लाठी डंडो से प्रहार करो,
इनका तुम सम्मान करो।
कितनी ही धन दौलत जोड़ो,
सोना चांदी कितना ही तोलो,
खाने के लिये तो अन्न ही चाहिए, बोलो।
सब मिलकर अपना, मुँह खोलो,
ये अन्नदाता है, मत इन पर राजनीति करो,
आगे बढ़कर इनका सम्मान करो,
इनकी वेदना को सुनकर ,
उसका समाधान करो।

– रूचि शर्मा

Language: Hindi
8 Likes · 4 Comments · 518 Views
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