Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2016 · 1 min read

अनुकरण

लघुकथा
अनुकरण

*अनिल शूर आज़ाद

अभी-अभी वह फिल्म ‘दीवार’ का शो देखकर निकला था। अमिताभ के स्वाभिमान और शूरता का जोरदार प्रभाव पड़ा था उस पर। वह भी अपने हीरो का अनुकरण करेगा, उसने ऐसा निश्चय किया।
जूते पॉलिश कराने के पश्चात ग्राहक का फेंका सिक्का उसके घुटने से टकराकर गिरा तो, एकाएक उसके भीतर का ‘अमिताभ’ जाग उठा। “ए जनाब..पैसे उठाकर हाथ में दीजिए!” अमिताभाना अंदाज़ में उसने मांग की।
“अरे पिद्दी से छोकरे, तेरी ये मजाल..” कहते उन महाशय ने उसे बुरी तरह थपड़ा दिया।
पीट-पाटकर ग्राहक अपने रास्ते चला गया। वह वहीं पड़ा रिरियाता रहा।

(रचनाकाल : वर्ष 1985)

Language: Hindi
354 Views

You may also like these posts

महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
पिता का गीत
पिता का गीत
Suryakant Dwivedi
"जाम"
Dr. Kishan tandon kranti
फिर से आयेंगे
फिर से आयेंगे
प्रेमदास वसु सुरेखा
बुंदेली चौकड़िया
बुंदेली चौकड़िया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
42 °C
42 °C
शेखर सिंह
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
खेल खिलाड़ी
खेल खिलाड़ी
Mahender Singh
कई बार हम ऐसे रिश्ते में जुड़ जाते है की,
कई बार हम ऐसे रिश्ते में जुड़ जाते है की,
पूर्वार्थ
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दुनियादारी
दुनियादारी
श्रीकृष्ण शुक्ल
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
निकेश कुमार ठाकुर
*सखावत हुसैन खान का गजल गायन: एक अनुभूति*
*सखावत हुसैन खान का गजल गायन: एक अनुभूति*
Ravi Prakash
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
VINOD CHAUHAN
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
सावन
सावन
Rambali Mishra
हृदय वीणा हो गया
हृदय वीणा हो गया
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
The Deep Ocean
The Deep Ocean
Buddha Prakash
हरजाई
हरजाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
sushil sarna
पीले पत्ते दूर हो गए।
पीले पत्ते दूर हो गए।
Kumar Kalhans
4212💐 *पूर्णिका* 💐
4212💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
दिल्लगी
दिल्लगी
Dipak Kumar "Girja"
हिंदी के ज्ञानपीठ पुरस्कार (शार्ट ट्रिक)
हिंदी के ज्ञानपीठ पुरस्कार (शार्ट ट्रिक)
गुमनाम 'बाबा'
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
2
2
*प्रणय*
यूँ  भी  हल्के  हों  मियाँ बोझ हमारे  दिल के
यूँ भी हल्के हों मियाँ बोझ हमारे दिल के
Sarfaraz Ahmed Aasee
Loading...