अधूरा ही सही
पूरा नहीं तो आधा ही सही ,
कोई झूठा सा वादा ही सही l
सामने ऐसे निकल रहे हैं
जैसे हमको जाना ही नहीं l
इंतज़ार फिर भी हम करते रहे
मालूम है, उनको आना ही नहीं l
पहले रहते थे, किसी पते पर
अब तो, कोई ठिकाना ही नहीं l
नजरों से, साफ़ है पहचान लिया है
दिखा रहे हैं, जैसे पहचाना ही नहीं l
डा राजीव “सागरी”