Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2024 · 1 min read

अधिकारी

आपकी अहंकारी प्रवृत्ति
स्वार्थी व धन लोलुप इस
मानस की विकृति में
पिसता आमजन
हताशा निराशा में आकंठ डूबा
एक आशा की किरण तलाशता मन
यदि वर्षों गुजार दे
तो चुल्लू भर पानी ही काफी है
आपके डूबने के लिए
पर डूबना चाहोगे
यदि डूबे
तो पाओगे स्वयं को
संतोष सरिता की सतह पर

@ओमप्रकाश मीना

Language: Hindi
79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from OM PRAKASH MEENA
View all
You may also like:
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
4146.💐 *पूर्णिका* 💐
4146.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तन, मन, धन
तन, मन, धन
Sonam Puneet Dubey
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
sushil sarna
जीवन को जीवन की तरह ही मह्त्व दे,
जीवन को जीवन की तरह ही मह्त्व दे,
रुपेश कुमार
संकीर्णता  नहीं महानता  की बातें कर।
संकीर्णता नहीं महानता की बातें कर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इस दुनिया में कई तरह के लोग हैं!
इस दुनिया में कई तरह के लोग हैं!
Ajit Kumar "Karn"
*खेल खिलौने*
*खेल खिलौने*
Dushyant Kumar
बेटी को पंख के साथ डंक भी दो
बेटी को पंख के साथ डंक भी दो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
सातो जनम के काम सात दिन के नाम हैं।
सातो जनम के काम सात दिन के नाम हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
तूं कैसे नज़र अंदाज़ कर देती हों दिखा कर जाना
तूं कैसे नज़र अंदाज़ कर देती हों दिखा कर जाना
Keshav kishor Kumar
देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इश्क- इबादत
इश्क- इबादत
Sandeep Pande
"आज तक"
Dr. Kishan tandon kranti
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
मिला कुछ भी नहीं खोया बहुत है
मिला कुछ भी नहीं खोया बहुत है
अरशद रसूल बदायूंनी
हुलिये के तारीफ़ात से क्या फ़ायदा ?
हुलिये के तारीफ़ात से क्या फ़ायदा ?
ओसमणी साहू 'ओश'
*आए अंतिम साँस, इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)*
*आए अंतिम साँस, इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय*
तुझको पाकर ,पाना चाहती हुं मैं
तुझको पाकर ,पाना चाहती हुं मैं
Ankita Patel
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ना देखा कोई मुहूर्त,
ना देखा कोई मुहूर्त,
आचार्य वृन्दान्त
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
संवादरहित मित्रता, मूक समाज और व्यथा पीड़ित नारी में परिवर्तन
संवादरहित मित्रता, मूक समाज और व्यथा पीड़ित नारी में परिवर्तन
DrLakshman Jha Parimal
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही
Pankaj Bindas
अपने आमाल पे
अपने आमाल पे
Dr fauzia Naseem shad
कलश चांदनी सिर पर छाया
कलश चांदनी सिर पर छाया
Suryakant Dwivedi
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
पूर्वार्थ
Loading...