अधिकारी
आपकी अहंकारी प्रवृत्ति
स्वार्थी व धन लोलुप इस
मानस की विकृति में
पिसता आमजन
हताशा निराशा में आकंठ डूबा
एक आशा की किरण तलाशता मन
यदि वर्षों गुजार दे
तो चुल्लू भर पानी ही काफी है
आपके डूबने के लिए
पर डूबना चाहोगे
यदि डूबे
तो पाओगे स्वयं को
संतोष सरिता की सतह पर
@ओमप्रकाश मीना