अदम गोंडवी
कविता को क्रान्ति और विद्रोह की मशाल बनाने वाले शख्स का नाम है- अदम गोंडवी। वे ऐसे कलमकार थे, जिसे अपनी रचनाओं और गाँव के अलावा यदि किसी से प्रेम था, तो वह थी-मदिरा। अदम के प्रशंसकों का एक बड़ा दायरा भी था, जो रुपये-पैसों से उनकी मदद करते थे। फटे कपड़े से तन ढँके हुए जहाँ से वो गुजरता था, वो पगडण्डी सीधे अदम के गाँव जाती थी। 22 अक्टूबर 1947 को स्वतंत्र भारत में जन्में अदम गोंडवी की बारहवीं पुण्यतिथि विगत 18 दिसम्बर 2023 को मनाई गई।
अदम गोंडवी निराले व्यक्तित्व के आसामी थे। वे जीवन भर उन तबकों की आवाज बने रहे, जिसे न तो दो वक्त की रोटी नसीब होती थी और न ही जिसके सर पर छत थी। वे बड़ी बेबाकी से न केवल सत्ता से सवाल करते रहे, वरन् अभिव्यक्ति के सारे खतरे भी उठाते रहे।
दर्द की जमीन पर तकलीफों के साये में पानी की जगह आँसू पीकर जीने वाले अदम गोंडवी साहब को शत शत नमन् करते हुए उनकी ही रचना की चन्द पंक्तियाँ श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत है :
(1)
किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए,
तुझे था जिसका इन्तजार वो जवाब क्या हुए?
(2)
कल जब मैं निकला दुनिया में
तिल भर ठौर देने मुझे मरघट भी तैयार न था।
आलेख
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त-2023