अतीत
अतीत शब्द कह तूफान ला दिया
उठती लहरों का सैलाव ला दिया
कुछ पढ मन्द मुस्कराने लगी मैं
कुछ पढ कर कोमा में चली गयी मैं
किताब अतीत की यूँ पढ़ने लगी
शब्द -शब्द का विश्लेषण करने लगी
मीठी मीठी सी यादों में खोने लगी
खट्टी स्मृतियाँ काँटों सी चुभने लगी
सभाँला जब से होश अपना मैंने
तिरस्कार ,इंकार के कर सोपान पार
चलती रही प्यार के हासियों पर मैं
फिर वही ख्याल रह-रह झकझोर गया
अतीत की स्मृतियों में ढूँढा अपने को
सुन्दर मनोरम सपनों का स्थान न था
एक अतीत यादों की विशैली स्मृतियों का
जहाँ हिसाब पाने से खोने का ज्यादा था
अतीत ने सिखाया मुझको सही मार्ग
देख ना पीछे मुड़ आगे बढ़ते ही जाना
जीवन जीने के लिए ऊँपर से मुस्कराना
बेडौल व्यवस्था में जीना सीख लिया
डॉ मधु त्रिवेदी