Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2024 · 1 min read

अतीत

अतीत

अंधेरे दीवारें के, बुनते हुए जालों सा
जीवन मेरा चुभता रहता, पैर में पड़े छालों सा ।।
कश्ती अक्सर सहती गिरती , किनारों के झोंकों से
मन का दरिया बहता पड़ता, दुःख के चंद हिचकोले से।।

26 Views

You may also like these posts

कहाँ लोग सुनेला
कहाँ लोग सुनेला
आकाश महेशपुरी
आकार
आकार
Shweta Soni
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
Rituraj shivem verma
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
शेखर सिंह
जिन्दगांणी
जिन्दगांणी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
पूर्वार्थ
अनमोल
अनमोल
Neeraj Agarwal
सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
3157.*पूर्णिका*
3157.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*लघुकविता*
*लघुकविता*
*प्रणय*
कविता की बोली लगी
कविता की बोली लगी
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
विरले ही संवेदनशील
विरले ही संवेदनशील
Seema gupta,Alwar
pita
pita
Dr.Pratibha Prakash
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
gurudeenverma198
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
बचपन
बचपन
Nitin Kulkarni
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
पिता एक उम्मीद है, एक आस है
पिता एक उम्मीद है, एक आस है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मज़दूर
मज़दूर
कुमार अविनाश 'केसर'
कत्ल करके हमारा मुस्कुरा रहे हो तुम
कत्ल करके हमारा मुस्कुरा रहे हो तुम
Jyoti Roshni
कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
Sanjay ' शून्य'
जब किसी से किसी को प्यार होता है...
जब किसी से किसी को प्यार होता है...
Ajit Kumar "Karn"
एक अनार, सौ बीमार
एक अनार, सौ बीमार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वसंत की बहार।
वसंत की बहार।
Anil Mishra Prahari
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
Harminder Kaur
दोस्त बताती थी| वो अब block कर गई है|
दोस्त बताती थी| वो अब block कर गई है|
Nitesh Chauhan
बदनाम
बदनाम
Deepesh Dwivedi
तेरा पागल दीवाना
तेरा पागल दीवाना
डॉ. एकान्त नेगी
स्त्रियों को महज उपभोग और संभोग के दृष्टि से देखने वाले लोग
स्त्रियों को महज उपभोग और संभोग के दृष्टि से देखने वाले लोग
Rj Anand Prajapati
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
Sonam Puneet Dubey
Loading...