*अज्ञानी की कलम *शूल_पर_गीत*
*अज्ञानी की कलम शूल_पर_गीत
वतर्ज-दिलवर की रुशवाई-
स्थाई- शूल को फूल फूल को शूल बनाने वाले हैं।
उजड़े गुलशन को मेरे भोले उगाने वाले हैं।।
अं•-यही संस्कार भोले भंडारी निश दिन हमको सिखाते हैं।
गलें विशधर वो ड़ाले त्रिपुरारी दूध हम सब यूं चड़ाते हैं।।
उड़ान -भोले बाबा जी ने उन्ह नागों को पालें हैं।।
उजड़े गुलशन—–
अं•-हे देवाधिदेव महादेव तुम्हीं, जिंदा मुर्दे भस्मी लगाले हैं।
देते सुख-संपत्ति सभी को तुम्ह, सभी लोकों को संभाले हैं।।
उड़ान -तेरी महिमा है न्यारी जग से,राम राम जपने वाले हैं।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•