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5 Oct 2019 · 1 min read

अजीब सी है जिन्दगी

है कुछ
हलचल सी
जिन्दगी में
एक तरफ
मौत है तो
दूसरी तरफ
जीने की आशा

थिरकने सी
लगती है
जिन्दगी
जब कोई
अपना सा
मिल जाता है
जिन्दगी में

थम जाती है
हलचल
शरीर की जब
टूट जाता है
कोई अपना तब

थिरकती रही है
जब तक वो
घर आँगन में
रहा आबाद
घर संसार
सहती रही
दुख तकलीफ
करती रही
घर में नव संचार

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 230 Views
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