अजीब दास्तान
अजीब दास्तान
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मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है।
दूर हो साजन पर चाहत करीब होती है।
रुसवा होता है दिल भरे जमाने में
मजे लेता है हमें आजमाने में
मगर हिम्मत कहाँ फिर धीर खोती है।
मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है ।
आजमाइश के दौर खूब चलते हैं ।
उल्फत के सूरज ना फिर ढलते हैं ।
मंज़िलों की सामने तस्वीर होती है।
मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है ।
दूरियों के जहर पिए जाते हैं ।
अपने भी कहर किए जाते हैं ।
मगर प्यार की रूह फकीर होती है।
मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है ।
।।मुक्ता शर्मा ।।