अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
ना हो जब साथ में कोई, हसरतें साथ होती हैं।।
कभी यादें मेरे दिल को , किसी की खूब आती हैं।
जो शिरकत हो महफिल में सभी अंजान लगते हैं।।
फरेबी हैं बहुत आशिक ना तेरे हैं ना मेरे हैं।
कभी जज्बात से खेलें, कभी अपना बताते हैं।।
वो लगते हैं हमें अपने, छिपकर घात करते हैं।
कभी आते हमारे घर कभी हमको बुलाते हैं।।
हुए जब हम परेशां तो , नज़र हमसे चुराते हैं।
बहुत है कश्मकश यारो।
बहुत दुनियां के झमेले हैं।।