अजनबी क्या कोई सगा होगा
श
अजनबी क्या कोई सगा होगा
इतना तो आपको पता होगा
पहले वो आपका हुआ होगा
बाद में आपको छला होगा
रोज़ इसको अगर कुरेदोगे
ज़ख़्म ये रोज़ ही हरा होगा
बाद में लोग जुट गये होंगे
वो अकेला मगर चला होगा
जब गवाही सही नहीं होगी
क्या सही फिर ये फ़ैसला होगा
कुछ बढ़ाओ क़दम ज़रा आगे
बैठकर सोचने से क्या होगा
अश्क़ आँखों से फिर गिरे होंगे
नाम पानी पे जब लिखा होगा
हिचकियों से मिला इशारा ये
याद उसने भी कर लिया होगा
सच तो ‘आनन्द’ सच रहेगा ही
तोड़कर आइना भी क्या होगा
– डॉ आनन्द किशोर