अच्छी किस्मत
बहुत कुछ खोकर ,
बहुत कुछ पाया है मैने ,
और लोग उसे मेरी अच्छी किस्मत कहते है ।
खुद तन्हा रहकर ,
दूसरो का साथ निभाया है मैने ,
रातों को रो – रोकर ,
दिन में मुस्कुराया है मैने ,
और लोग इसे मेरी अच्छी किस्म कहते है ।
सही होने के बावजूद ,
खुदको गलत ठहराया है मैने ,
और खुदा-ए-क्रम जब हुआ फैसला हक में मेरे
तो लोग इसे मेरी अच्छी किस्मत कहते है ।
बेबुनियादी रिश्तों को भी ,
दिल – ओ – जान से निभाया है मैने ,
हर किसी की गलती कर माफ ,
सबके दिलो में जगह को बनाया है मैने ,
और लोग इसे मेरी अच्छी किस्मत कहते है ।
आँधियों से बुझा जब जब दीया ,
मन के जलते दीप से ,
अपनी मंज़िल को पाया है मैने ,
और लोग इसे मेरी काबिलियत नहीं
मेरी अच्छी किस्मत कहते है ।
❣️स्कंदा जोशी