अगन में तपा करके कुंदन बनाया,
अगन में तपा करके कुंदन बनाया,
सुबासन भरा शीतल चंदन बनाया।
कदम दर कदम पर बहुत है निहोरा,
रंगा तूने रचके नहीं रखा कोरा।
शुकर शुकर शुकर है तुम्हारा,
सब मालिक कृपा है नहीं कुछ हमारा।
मेहर आखिरी मेरे दाता ये करना।
चलूँ जब जगत से मिले तेरी शरना।
सतीश सृजन, लखनऊ