अक्स
अक्स तेरा मुझे जानिब तेरी यूँ करता है।
तीरगी चीर के जैसे उजाला बिखरता है।
मेरे नैना तेरी तस्वीर को तरसते हैं।
मेरे जज़्बात तेरी चाह को मचलते हैं।
है कोई डोर अजानी सी बंधी हो जैसे।
दरमियाँ कोई तो रिश्ता है हमारे ऐसे।
फेर कर मुझसे न मुँह तन्हा बनाओ मुझको।
आके रातों को न ख्वाबों में सताओ मुझको।
अपनी पलकों पे तेरे ख़्वाब सजा फिरती हूँ।
लेके आशा की किरण मैं भोर सी निखरती हूँ।
#निधि भार्गव