बीमार समाज के मसीहा: डॉ अंबेडकर
आकाश-पताल का फ़र्क होता है
कुछ कहने और करने में
अभी तुमको लगेंगी कई सदियां
अंबेडकर को समझने में…
(१)
उनका मंदिर बनाना और बात है
उनको फूल चढ़ाना और बात है
उन्हें दीया दिखाना और बात है
उनके नारे लगाना और बात है
पहले आंखें खोलनी पड़ती हैं
किताबों को पढ़ने में…
(२)
या तो सजाओं से डर जाते हैं
या फिर लालच में पड़ जाते हैं
जैसी हालत में दूसरे लोग
फांसी लगाकर मर जाते हैं
उन्होंने उसी का उपयोग किया
अपने आपको गढ़ने में…
(३)
उन्हें गालियां बकना-आसान है
उनमें कमियां ढूंढना-आसान है
लेकिन मुश्किल है-उन-सा बनना
उनकी मूर्तियां तोड़ना-आसान है
यह कलेजा मुंह को आ जाता है
ऊंची सीढ़ियां चढ़ने में…
(४)
उन्होंने अपने छोटे जीवन में
कैसे इतना बड़ा काम किया
दूर करके सदियों का संताप
दुनिया में देश का नाम किया
फूंक डाला अपने घर को भी
अंधेरे से लड़ने में…
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Shekhar Chandra Mitra
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