अंत…
अंत..
१.तू आदि-अंत,तू गीता का सार
मनुष्य भी तू ,तू विष्णु अवतार
२.अंत का परिणाम क्या होगा
युद्ध का अंजाम क्या होगा
जो देख पाते तनिक तुम
जीवन संग्राम न रचा होता
३.रुदन से ही आरम्भ
रुदन से ही अंत
मध्य झूलता जीवन
उन्माद विषाद अनंत
४.अंत तो निश्चित है
मालूम है,मरना है
फिर भी हर दिन
जीने की तमन्ना है
५.अंत करो शोषण का
अंत करो कुपोषण का
ख़ुद के अंत से पहले
अंत करो सारे दोशन का