अंतस्थ वेदना
अंतस्थ वेदना
सुनो,चिंता मत करना,जीवन जीना कठिन है
नहीं आसान भी मरना।
मेरा हँसमुख होना ही काम आएगा तुम्हें भुलाने में।
बेशक पहली नज़र की प्रीत हो तुम,इक पल न लगा था तुम्हें चाहने में।
पता है बहुत खराब हैं तुम्हारी यादें।
जब भी मन से हँसती हूँ
आ जाती हैं मुझे रुलाने और समझाती हैं
हाँ ऐसे ही हँसना है।
तभी धीरे धीरे भुला पाऊंगी।
आदत है ना खुद की चाहतों
को गला दबाकर मारने की।
तुम भी तो अंतहीन चाहत हो मेरी।
बेशक पहली नज़र की प्रीत हो तुम,इक पल न लगा था तुम्हें चाहने में।
मेरा हँसमुख होना ही काम आएगा तुम्हें भुलाने में।
उलझाती रहती हूँ खुदको कामों में,
भूलती न आवाज़ तेरी गूँजती कानों में।
फुटकर हँसी है, सभी कहते मेरी
सजल हो उठती हैं आँखे रहती हैं भरी।
भावों की तो अद्भुत कलाबाज हूं मैं
अभिनय का अनभिज्ञ अंदाज़ हूं मैं।
बेशक पहली नज़र की प्रीत हो तुम,इक पल न लगा था तुम्हें चाहने में।
मेरा हँसमुख होना ही काम आएगा तुम्हें भुलाने में।
नीलम शर्मा ✍️