अंगूठी अनमोल
कुण्डलिया
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गहनों में लगती बहुत, अंगूठी अनमोल।
रत्न जटित होती कभी, लेकिन होती गोल।
लेकिन होती गोल, शौक से सभी पहनते।
शादी की शुभ रस्म, पूर्ण है इसके चलते।
बात यही है सत्य, बनी जब प्रिय अपनों में।
स्वर्ण मुद्रिका खूब, पैठ रखती गहनों में।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य