Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

अंगड़ाई

अंगडाई

ये बेचैन मन को अपनी अनुभुति से
आराम करने की सोगात रखती है।
तरुणाई से घबराकर अपनी बुती से
वो आलस्य पर ओकात रखती है
गलती क्यों की जनाव भलाई से
अब सजा भुगतो अपनी अंगडाई से
मजा तो तुम्हे बहुत आया होगा
पाकर मेरी ही परछाई को।
सजा रजा है मजा दिला गयी होगी
छाकर आसमान भी शरमाया होगा
पळती निगाहों की नजर को परछाई से
वो रजा मन्दी बन चली अपनी अंगडाई

गळती की तूने आज जाने अनजाने में
तरसती थी वो तेरी परछाई पाने में
खामोश रही वो तेरे खातिर
वरना शातिर मन को मजा आता उसे भगाने में
अरे! गलती तेरी आलस्य संग चली अपनी अंगाई से
वो तरुणाई बन गरमाई अपनी अंगड़ाई से
कड़ी कशमकश के बाद पसीना आता है ।
अरे गधे! फिर कौन कामचोरी से हमीना बुलाता है।
वो तो तेरा पागलपन था पगले अब तो भगले
खामोश होकर वक्त से तख्त पर करीश्मा बुलाता है।
कलम की गरमी स्याही बन गरमाई थी
तेरी करुणाई आज आलस्य की कैसी भगाई थी
हवा-हवाई से पगडंडी लाग चली थी
कागज-कलम नही दिल की दवान रखी थी
रूप तेरा मस्ताना है यही बताने की नीव जली है।
बिडी जलाई ले जलन जिया यही नजर टली थी ।

1 Like · 26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पानी
पानी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
काश ये
काश ये
हिमांशु Kulshrestha
झरोखा
झरोखा
Sandeep Pande
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
तू भी इसां कहलाएगा
तू भी इसां कहलाएगा
Dinesh Kumar Gangwar
प्रयास जारी रखें
प्रयास जारी रखें
Mahender Singh
सपना
सपना
ओनिका सेतिया 'अनु '
आप हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे , अपने
आप हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे , अपने
Raju Gajbhiye
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
जिसके पास ज्ञान है,
जिसके पास ज्ञान है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुष्पों का पाषाण पर,
पुष्पों का पाषाण पर,
sushil sarna
फिर आई स्कूल की यादें
फिर आई स्कूल की यादें
Arjun Bhaskar
तुम बिन जीना सीख लिया
तुम बिन जीना सीख लिया
Arti Bhadauria
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
भगवान
भगवान
Adha Deshwal
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल/नज़्म - एक वो दोस्त ही तो है जो हर जगहा याद आती है
ग़ज़ल/नज़्म - एक वो दोस्त ही तो है जो हर जगहा याद आती है
अनिल कुमार
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
gurudeenverma198
3435⚘ *पूर्णिका* ⚘
3435⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*अपने बाल खींच कर रोती (बाल कविता)*
*अपने बाल खींच कर रोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
झूठा प्यार।
झूठा प्यार।
Sonit Parjapati
"फर्क"
Dr. Kishan tandon kranti
निशानी
निशानी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
You call out
You call out
Bidyadhar Mantry
सफर की यादें
सफर की यादें
Pratibha Pandey
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
Satyaveer vaishnav
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...