हे अयोध्या नाथ
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अयोध्या नाथ
हे मंगल के भवन राम,हम आए शरण तिहारी।
सबका मंगल करो नाथ, विनती सुनहु हमारी।।
सकल अमंगल हरो नाथ, करो नाथ कल्याण।
हिंसा द्वेष अज्ञान नाश हों, दो ऐसा वरदान।।
अयोध्या नाथ
हे मंगल के भवन राम,हम आए शरण तिहारी।
सबका मंगल करो नाथ, विनती सुनहु हमारी।।
सकल अमंगल हरो नाथ, करो नाथ कल्याण।
हिंसा द्वेष अज्ञान नाश हों, दो ऐसा वरदान।।