हाँ मैं व्यस्त हूँ

हाँ मैं व्यस्त हूँ
मैं व्यस्त हूँ
चलने और आगे बढ़ने में
अपने आपको ढूंढने में।
उस रस्ते पर नहीं
जंहा अधिकतर लोग चलते है
डरते है और आपने आप को खो देते है ।
मैं अपने डर को शांत करने में व्यस्त हूं
और अपनी हिम्मत पाने में व्यस्त हूँ ।
मैं अपने आप के संपर्क में व्यस्त हूं
हां, मैं ध्यान में व्यस्त हूँ
जो वास्तविक है उसके साथ साथ
मैं चीजों को बढ़ाने में व्यस्त हूं और
प्राकृतिक दुनिया से जुडने में व्यस्त हूँ
मैं अपने अस्तित्व को बढ़ाने में
उन्हें ढूंढने में व्यस्त हूँ।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता – आनन्द्श्री