सुकून ए दिल का वह मंज़र नहीं होने देते। जिसकी ख्वाहिश है, मयस्सर नहीं होने देते।।
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सुकून ए दिल का वह मंज़र नहीं होने देते।
जिसकी ख्वाहिश है, मयस्सर नहीं होने देते।।
रोज़ करते हैं अ़ता फस्ल मुझे यादों की।
ज़मीन ए दिल कभी बंजर नही होने देते।
सुकून ए दिल का वह मंज़र नहीं होने देते।
जिसकी ख्वाहिश है, मयस्सर नहीं होने देते।।
रोज़ करते हैं अ़ता फस्ल मुझे यादों की।
ज़मीन ए दिल कभी बंजर नही होने देते।