समझदार बेवकूफ़
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एक गधे ने दूसरे गधे से कहा ,
लोग खामखां हमें बदनाम करते हैं ,
पर इंसान कुछ ऐसे काम करते हैं ,
जिन्हें देखकर कहते हमें शर्म आती है ,
सियासत में ऐसी बख़िया उधेड़ी जाती है ,
जिसमें नेता एक दूसरे को
नंगा करते हैं ,
फिर भी अपनी करतूतों से
बाज़ नहीं आते हैं ,
वक्त बदलने पर ये खुदगर्ज़ पार्टी
बदल लेते हैं ,
जिसे पहले चोर कहा था उसी के
कसीदे पढ़ने लगते हैं ,
इनका कोई ज़मीर-ओ – ईमान
नहीं होता है ,
अपनों से प्यारा इन्हें अपना रुसूख़ और
पैसा होता है ,
चुनाव आने पर अवाम पर इनका
प्यार उमड़ता है ,
जीतने पर इनका चेहरा कहीं
गुम हो जाता है ,
अवाम को बेवक़ूफ़ बनाने में ये
अव्व़ल दर्जे़ के फ़नकार होते हैं ,
नामचीन अदा-कार भी पीछे छूट जाऐं
ऐसे ये नाटककार होते हैं ,
ये इंसान जो हमेशा हमें जाहिल
बेवक़ूफ़ कहते हैं ,
पर ये समझदार हर बार
बेवक़ूफ़ बनकर इन्हें ही चुनते हैं।