सच
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सच और सही तो नियम है।
हम तुम रब के बनाए चित्र हैं।
मानव तो हम सच कहां हैं।
बस जिंदगी गुज़र बसर करते हैं।
धन शोहरत के साथ हम ईमान कहां सोचते हैं।
बस दूसरों में कमी हम निकालते हैं।
ईश्वर भक्ति और शक्ति श्रृद्धा स्वार्थ हम रखते हैं। किस्मत और भाग्य तो जीवन पहले ही लिखा हैं।
सच तो यही आज हमारा होता हैं।
हम कल के साथ जीते हैं।
सच हम जीवन जिंदगी को जीतें हैं।
हां सच आज को हम जीते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र