श्रीयुत अटलबिहारी जी

श्रीयुत अटलबिहारी जी
राष्ट्र संस्कृति पालक बन की जन-रखवारी जी
जनसंघी ने संघर्षों का अनुपम बिगुल बजाया
राष्ट्र-भूमि पर मत्था टेका, रण में शीश उठाया
जय जवान, जय विज्ञान के हम आभारी जी
श्रीयुत अटलबिहारी जी
भारत को अनुपम प्रकाश सह दर्शन दिया सु छवि ने
जीवन की हर धूप-छाँव को हँस कर जिआ सु कवि ने
विश्व बंधु, सद्भाव, ज्ञान व गुण-पिचकारी जी
श्रीयुत अटलबिहारी जी
आप नहीं दुनिया में लेकिन फहराया यशमय ध्वज
हिंद धरा को आभा देगा, सद्लेखनमय सूरज
भारत-भू के मुखिया ,अविचल राष्ट् पुजारी जी
श्रीयुत अटलबिहारी जी
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पं बृजेश कुमार नायक
●इस रचना को मेरी कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।
●”जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
पं बृजेश कुमार नायक