शिव स्तुति
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कौन दिशा में छुपकर बैठा ओ गंगाधर पर्वतवासी
एक झलक दिखला जा मुझको ढूँढ रही हैं अंखियाँ प्यासी
भव विरुपाक्ष जटाधर तारक तेरे नाम लगें अति सुन्दर
तू ही सोम सदाशिव मेरा तू ही मेरा देव दिगम्बर
तू ही उग्र कपाली मेरा तू ही मेरा गुरु संन्यासी
एक झलक दिखला जा मुझको …
तू ही कवची कृतिवासा है तू ही भर्ग मृत्युन्जय मेरा
खोल नयन हे शर्ब कृपानिधि कर दे मन का दूर अँधेरा
मेरे मन में घोर अँधेरा मेरे मन में घोर उदासी
एक झलक दिखला जा मुझको …
विश्वेश्वर गिरिनाथ अनघ मृड शिव त्रिपुरांतक दक्षाध्वरहर
खंडपरशु शाश्वत प्रमथाधिप गिरिप्रिय हवि कवि शिशु परमेश्वर
तू नटराज त्रिलोचन शंकर तू ही जग का अंतिम लासी
एक झलक दिखला जा मुझको …
रचयिता : शिवकुमार बिलगरामी