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5 Oct 2022 · 1 min read

विजय पर्व है दशहरा

विजय पर्व है दशहरा, खुशियों का त्यौहार।
जीत धर्म की है सदा, जाता अधर्म हार।।

जिसने भाई से रखा, सदा कपट का जाल।
ऐसे जन का जानिए, रावण जैसा हाल।।

मन मैला मत कीजिए, मन में बसते राम।
प्रेम स्नेह सबसे रखें, भजिए ईश्वर नाम।।

घड़ा पाप का जब भरे, जाता फिर वह फूट।
लाख यत्न फिर किजिए , सांसे जाती छूट।।

देखों रावण का दहन, जगह जगह है आज।
सदियों से सब कर रहें, यह शुभ मंगल काज।।

अहंकार का कीजिए, आज अभी से
त्याग।
अपने मन को किजिए, अब निर्मल बेदाग।।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 90 Views
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